आवारा भौंवरे...
तुम किसी झील के किनारे बैठी उसकी सुंदरता को एकटके ताक रही हो और वहां पास उड़ रही तितलियाँ तुम्हें । झील की मछलियां किनारे की तरफ एक एक करके बढ़ रही हैं तुम्हारी खूबसूरती की एक झलक पाने को जैसे आजतक उन्होंने प्रकृति में ऐसा कुछ देखा ही न हो । सूरज ने अपना ताप कम कर लिया है जैसे तुम्हें देख एकदम से वो खुश हो गया हो और अब बादलों में छिप जाना चाहता हो । तुम्हारे स्पर्श से पानी का रंग बदल रहा है और झील का सौंदर्य बढ़ता ही चला जा रहा है जैसे उसे अब तुम्हारी सुंदरता से जलन होने लगी है । पास वाले झरने से हलकी हलकी पानी की फुहारें तुम्हें छूने की कोशिश कर रही हैं, जैसे तुम्हारा स्पर्श पाने को वो बेताब हो ।
हवा के झोंके जो पीछे खड़े पेड़ों द्वारा तुम्हारे तरफ भेजे जा रहे हैं और तुम्हारे घने ज़ुल्फ़ों को लहराने पर मजबूर कर रहे हैं, जैसे वो तुम्हारी खुशबु को पूरे वातावरण में फैलाना चाहते हों । उन्हीं किसी पेड़ों में बैठी कोयल अपनी गुनगुनाती हुई आवाज़ से तुम्हें लुभाने की कोशिश कर रही है । और मैं, मैं जिज्ञासा भरी नज़रों से देखता हुआ तुम्हारी ओर बढ़ता चला आ रहा हूँ अपना दिल थामे ।
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