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Showing posts from 2018

मैं शीर्षक किसी और की कहानी का...

मुझे पता है, एक दिन सब मेरा किया हुआ भूल जाएंगे, वो सारे समझौते जो मैंने मेरी जिंदगी के साथ किए, सिर्फ इसलिए की मैं दूसरों की उम्मीदों पर खरा उतर जाऊं । औरों को कोई दिक्कत, कोई तकलीफ़, कोई कमी ना होने दूं । कोई आपसे सिर्फ इसलिए प्यार करता है क्यूंकि आप कहीं ना कहीं उसकी उम्मीदों पर खरे उतर रहें हैं या उसकी जरूरतें पूरी कर रहें हैं, और ये बात कभी कभी सामने वाले को भी पता नहीं होती । और मैं, मैं किसी के लिए कुछ भी इसलिए नहीं कर रहा हूं की वो मुझे उस काम के लिए ज्यादा मान सम्मान  दें, या मेरी पूजा करें । मैं दूसरों की मदद सिर्फ इसलिए करता हूं क्यूंकि मैंने वो दिन वो समय देखा है जब आपको लोगों की जरूरत हो और आपके साथ कोई खड़ा ना हो, सिर्फ आप, खुद को खुद में लिए उस समय से लड़े जा रहे हैं, क्यूंकि आपको पता है की अगर आप कमज़ोर पड़े तो मामला साफ़ हो जाएगा, आप बहुत पीछे रह जाएंगे और ज़िन्दगी आपको धक्के के सिवा और कुछ नहीं देगी । मुझे डर है की किसी और के साथ ऐसा कुछ ना हो, मैं उसे पहले ही बचा लूं, मैंने जो देखा है, जो सहा है, और उन सब चीज़ों से लड़ भी चुका हूं और जीत भी चुका हूं, पर क्...

आवारा भौंवरे...

तुम किसी झील के किनारे बैठी उसकी सुंदरता को एकटके ताक रही हो और वहां पास उड़ रही तितलियाँ तुम्हें । झील की मछलियां किनारे की तरफ एक एक करके बढ़ रही हैं तुम्हारी खूबसूरती की एक झलक पाने को जैसे आजतक उन्होंने प्रकृति में ऐसा कुछ देखा ही न हो । सूरज ने अपना ताप कम कर लिया है जैसे तुम्हें देख एकदम से वो खुश हो गया हो और अब बादलों में छिप जाना चाहता हो । तुम्हारे स्पर्श से पानी का रंग बदल रहा है और झील का सौंदर्य बढ़ता ही चला जा रहा है जैसे उसे अब तुम्हारी सुंदरता से जलन होने लगी है  । पास वाले झरने से हलकी हलकी पानी की फुहारें तुम्हें छूने की कोशिश कर रही हैं, जैसे तुम्हारा स्पर्श पाने को वो बेताब हो । हवा के झोंके जो पीछे खड़े पेड़ों द्वारा तुम्हारे तरफ भेजे जा रहे हैं और तुम्हारे घने ज़ुल्फ़ों को लहराने पर मजबूर कर रहे हैं, जैसे वो तुम्हारी खुशबु को पूरे वातावरण में फैलाना चाहते हों । उन्हीं किसी पेड़ों में बैठी कोयल अपनी गुनगुनाती हुई आवाज़ से तुम्हें लुभाने की कोशिश कर रही है । और मैं, मैं जिज्ञासा भरी नज़रों से देखता हुआ तुम्हारी ओर बढ़ता चला आ रहा हूँ अपना दिल थामे । j<3g ...

गहरी सोच...

कभी आपने सोचा है की ये ज़िन्दगी आपकी किसी के सपने के एक हिस्सा है, जो भी हुआ, जो भी हो रहा है, जो भी होगा, आपके साथ या आपके ज़िन्दगी से जुड़े उन सब के साथ, ये सब किसी के सपने में हो रहा है । अगर वो ख़ुशमिज़ाजी सपना देख रहा है, तो आपकी ज़िन्दगी भी मजे में कट रही है, अगर नहीं, तो बदहाल चल रही है । मतलब किसी की नींद में आपने अपनी पूरी ज़िन्दगी गुज़ार ली, अच्छा बुरा सब होते देख लिया । किन्हीं लोगों की तारीफें की और बहुतों को जम कर कोसा । कभी लोगों को, कभी किस्मत को, और जब कुछ ना मिला तो भगवान तो हैं ही।दूसरों की खुशियों से जलन, द्वेष, वो झूठापन, तो बहुतों के लिए दरियादिली भी । सबकुछ हो रहा है, बहुत कुछ चीज़ों से शिकायतें भी है, असंतुष्टि भी, और बहुत चीज़ों से अद्भुत ख़ुशी भी । कभी सोचा है की जिसके सपने में तुम जी रहे हो, कभी उसकी नींद खुली तो इन तमाम चीज़ों का और तुम्हारा क्या अस्तित्व रह जायेगा ? ~ सजल सूरज

फ़्रस्ट्रेशन मिडिल क्लास का...

जिंदगी क्या है ? ख़ुशी मिलती है तुम्हें ? संतुष्ट हो ? क्या कर रहे हो और क्यों कर रहे हो, सोचा है कभी ? की बस सबने कहा की ये सही है, कर लो, खुद कभी उस चीज़ का मूल्यांकन किया ? शायद नहीं किया होगा, और अब करने का मन भी नहीं करता होगा क्यूंकि उस चीज़ की आदत हो चुकी है तुम्हें और अपने सारे पुराने शौक कहीं दफना के आज के नए झूठे शौक का लिबास डाले घूम रहे हो और कह रहे हो की यही ज़िन्दगी है, मौज में कट रही है । सुबह अलार्म दस बार स्नूज़ में डालने के बाद ग्यारहवीं बार में उठते हो दफ्तर को  कोसते हुए की सही से चैन की नींद सोने भी नहीं मिलती जो दिन भर स्कूल और टूशन के बाद मोहल्ले में क्रिकेट खेलने के बाद मिला करती थी । आज जब सुबह दफ्तर के लिए निकलते हो जिम्मेदारियों का बस्ता टाँगे, तो रास्ते भर गाड़ियों की भीड़ और उनकी पौं पौं पैं पैं से दिमाग नहीं झल्लाता तुम्हारा, ये कभी ख्याल नहीं आता उस वक़्त की जब कॉलेज जाते थे दोस्तों के साथ, तब की सुबह और आज की सुबह में कितना अंतर है, उस समय इतनी झल्लाहट तो नहीं होती होगी । दिन भर जब बॉस तुम्हारा सर खाता है और चार बातें सुना जाता है और तुम बस मन मसोस के र...