नया साल और पुराने दिन

लीजिये फिर से नया साल आ गया, एक और 1st जनवरी निकल गया अपने शहर से दूर रहते हुए, अपने मोहल्ले के सब लड़को की बड़ी याद आई कल ।
नया साल का नाम सुनते ही एकदम nostalgic फीलिंग आने लगता है । इतने ठंढ में हमलोग सुबह सुबह उठ के मोहल्ले के सब लड़को को घर घर बुलाने जाते थे फिर 2-3 अलग अलग रंग का chalk खरीद के अपने घर का सामने वाली रोड पूरी साफ़ करके उसपे सुन्दर डिजाईन और बड़े बड़े अक्षरों में HAPPY NEW YEAR लिखते थे, कसम से एकदम आर्टिस्ट वाला फीलिंग आ जाता था, फिर घर के बड़ो को अपना बनाया हुआ हैप्पी नई ईयर दिखा के जबरदस्ती का वाहवाही लूटते थे ।
अब नया साल है तो जलेबी और थोड़ा मस्ती मजा तो बनता ही था तो सब लड़के मिल के थोड़ा थोड़ा पैसा इकठ्ठा करके बगल वाले पिंटू होटल से एकाध किलो जलेबी लेके दबा के खाते थे । फिर बगल वाले मैदान में एक तरफ तीन और एक तरफ एक विकेट गाड़ के एकाध घंटे सब मौका मिलने पे धोनी भईया का हेलीकाप्टर मारने का कोशिश करते थे, किसी किसी से लग भी जाता था और एकाध बार तो गुस्से वाले चौबे जी के यहाँ भी बॉल चला जाता था और फिर 10 मिनट ये तय करने में लग जाता था की अब मांगने कौन जाये पर हिम्मत करके कोई लड़का जाता था और थोड़ा डाँट फटकार सुनके बॉल वापस ले आता था । साला पूरा दिन भसड़ मचाते थे ।
अब ये सब चीज़ बस एक "काश" बनके रह गया है। बड़े शहर के ऊँचे अपार्टमेंट्स में ये सब कहाँ दिखता है । उम्मीद करते है की अगले साल का पहला दिन अपने शहर में बीते । फिर से नए साल पे वो सब कर सके जो करके बहुत आनंद मिलता था ।
~सजल

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