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Showing posts from September, 2017

व्हाट्सप्प का ज़माना रे भइया...

पहले खाली फेसबुक था, जब भी किसी से चटियाने का मन किया तभी खोलते थे, या यहाँ वहां से कुछ बकवास उठा के कॉपी पेस्ट करते थे । जब जीवन में उससे थोड़ा शांति पाना चाहा तो कोई व्हाट्सप्प निकाल दिया, अरे भइया पहले एक फेसबुक कम लोड दे रहा था जीवन में जो इसको बना दिए, एक दो महीना तक शुरू में नहीं किये थे इनस्टॉल, काहे करें जब अपना Tata Docomo दिन का 500 SMS फ्री दे ही रहा है तो, किससे एतना बतियाना है जो । पर ऐसा है न की जब आपके आसपास की दुनिया एक सिरे से चल रही हो और आप उस झुण्ड में ना हो  तो समाज आपको नज़रों से उतार देता है । तो लो भइया कर लिए इनस्टॉल, अब बताओ का बतियाओगे इसपे । एकाध हफ्ता सब हाय, हेलो, हाउ आर यू किये इसपे, एकदम भोरे भोरे गुड मॉर्निंग का मैसेज आ रहा है हर तरफ से, किसी के मैसेज में फूल पत्ती के साथ, तो किसी के वाले में भगवान के फोटो के साथ विश किया जा रहा है । जो लोग को भुला भी गए है उनका भी मैसेज आ रहा है, एक मिनट के लिए तो सोच में पड़ गए की कौन है ये भाईसाहब जो इतना प्यार दिखा रहे, फिर फोटो देखने के थोड़ा दिमाग में ज़ोर डालने के बाद याद आ आया की अरे ये तो वही है जो 3-4 महीन...

एक दौर वो भी...

एक वो भी दौर था जब प्रेम पत्र दिए बिना प्यार को पूरा नहीं माना जाता था, एक चिट्ठी देने के लिए प्लानिंग की जाती थी मित्र मंडली बैठा के, सिचुएशन बनाने के लिए सामने वाले को 2-3 महीने हिंट दिया जाता था । उस ज़माने में ये काम कोई पहाड़ तोड़ने से कम नहीं था, हर एक कदम दिल की सुन के आगे बढ़ाई जाती थी, दिमाग लगाने वाला कोई कांसेप्ट नहीं था क्यूंकि उस उम्र में दिल ज्यादा हावी रहता है दिमाग पे, नौवीं दसवीं के लौंडे भली भाति समझते होंगे इस चीज़ को । हर काम पूरी शिद्दत से की जाती थी, एक तरफ़ा प्यार में कुछ ज्यादा ही ताकत हुआ करती थी । इम्प्रेस करने का एक भी मौका नहीं छोड़ा जाता था, हेयर जेल नया नया आया था मार्केट में, उससे भी बाल सेट नहीं हुआ तो सैलून में जाके बाल सेट कराते थे मम्मी से पैसा मांग के । और रंग बिरंगे शर्ट और जीन्स और नीचे एकदम सफेदी झलकाता हुआ कैंपस या बाटा का स्पोर्ट्स शू । हर छोटी से बड़ी कोशिशें की जाती थी मोहतरमा को इम्प्रेस करने के लिए, वो क्या है की कम्पटीशन हर फील्ड में होता है ना । ट्यूसन में अपनी वजनदारी भी दिखानी रहती थी, कोबरा का सेंट मार के साइकिल निकाली जाती थी । पीछा भी बकाय...