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फ़्रस्ट्रेशन मिडिल क्लास का...

जिंदगी क्या है ? ख़ुशी मिलती है तुम्हें ? संतुष्ट हो ? क्या कर रहे हो और क्यों कर रहे हो, सोचा है कभी ? की बस सबने कहा की ये सही है, कर लो, खुद कभी उस चीज़ का मूल्यांकन किया ? शायद नहीं किया होगा, और अब करने का मन भी नहीं करता होगा क्यूंकि उस चीज़ की आदत हो चुकी है तुम्हें और अपने सारे पुराने शौक कहीं दफना के आज के नए झूठे शौक का लिबास डाले घूम रहे हो और कह रहे हो की यही ज़िन्दगी है, मौज में कट रही है । सुबह अलार्म दस बार स्नूज़ में डालने के बाद ग्यारहवीं बार में उठते हो दफ्तर को  कोसते हुए की सही से चैन की नींद सोने भी नहीं मिलती जो दिन भर स्कूल और टूशन के बाद मोहल्ले में क्रिकेट खेलने के बाद मिला करती थी । आज जब सुबह दफ्तर के लिए निकलते हो जिम्मेदारियों का बस्ता टाँगे, तो रास्ते भर गाड़ियों की भीड़ और उनकी पौं पौं पैं पैं से दिमाग नहीं झल्लाता तुम्हारा, ये कभी ख्याल नहीं आता उस वक़्त की जब कॉलेज जाते थे दोस्तों के साथ, तब की सुबह और आज की सुबह में कितना अंतर है, उस समय इतनी झल्लाहट तो नहीं होती होगी । दिन भर जब बॉस तुम्हारा सर खाता है और चार बातें सुना जाता है और तुम बस मन मसोस के र...